7.12.11

चुहल


अलसुबह
घने कोहरे में
सड़क की दूसरी पटरी से आती
सिर्फ सलवार-सूट में घूम रही युवती को देख
मेरे सर पर बंधा मफलर
गले में
सांप की तरह
लहराने लगा !

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एक वे हैं जो ठंड को अंगूठा दिखाते हैं, एक हम हैं जो उन्हें देख आँखें फाड़ उंगलियाँ चबाते हैं।

सिर्फ मौज के लिए लिखा  है। पढ़िये और भूल जाइये।
और कुछ कर सकते थे क्या.....!
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